वॉयस ऑफ़ ए टू जेड न्यूज़:-कानपुर में आयकर अधिकारी की मौत के बाद परिवार ने उनके शव को 17 महीने तक घर में ही रखा। इस विश्वास के साथ कि वह जिंदा हैं। सब हैरान हैं कि 17 महीने तक विमलेश के मृत शरीर से दुर्गन्ध क्यों नहीं आई।
किसी केमिकल के इस्तेमाल के बिना क्या यह सम्भव है कि किसी मृत शरीर से 17 महीने तक दुर्गन्ध न आए। कानपुर में आयकर अधिकारी विमलेश कुुुुमार की मौत के बाद उनके शव को इतने लम्बे वक्त तक घर में ही रखने वाले परिवार की मानें तो उन्होंने किसी केमिकल का इस्तेमाल नहीं किया था बल्कि उन्हें तो यह विश्वास था कि विमलेश जिंदा हैं। विमलेश के शरीर को रोज गंगाजल से साफ किया जाता था। विमलेश की मां का भी यही कहना है कि बेटे के शरीर से कोई दुर्गन्ध नहीं आती थी, मतलब वह जिंदा था। उसकी धड़कन चल रही थी। कपाट गर्म रहता था। फिर यह कैसे सम्भव था कि उसे मरा मानकर अंतिम संस्कार कर देते। यह हमसे नहीं हो सकता था। वह हमारा बेटा था। हम सिर्फ इतना चाहते थे कि वह जल्द से जल्द अच्छा हो जाए और हमें एक बार अम्मा कह दे। यह कहकर विमलेश की मां रामदुलारी बिलख उठीं। बेटे के अंतिम संस्कार के बाद शनिवार को उनका रो-रोकर बुरा हाल था। वह बार-बार उसी तखत पर बैठ जाती थीं, जहां पर 17 माह तक उनका बेटा लेटा था। वैसे तो रामदुलारी बोलने की स्थिति में नहीं थीं पर टूटे-फूटे शब्दों में बताया कि इतने महीनों में सुबह एक बार पानी और फिर गंगा जल से विमलेश का शरीर साफ करती थीं। पानी में कुछ नहीं मिलाती थीं। उसके कपड़े भी वह और पति रामऔतार मिलकर बदल लेते थे।
खाना नहीं खाता था
रामदुलारी की मानें तो बीच-बीच में विमलेश को थोड़ा पानी पिलाती थीं जो शरीर के अंदर जाता था मगर वह कुछ खाता नहीं था। न ही उसके शरीर में कोई हरकत होती थी। रामदुलारी ने सवाल किया कि बेटा अगर जिंदा न होता तो उसके शरीर में पानी कैसे जाता। उसकी धड़कन कैसे चलती। मशीनें कैसे बतातीं कि वह जिंदा है। उन्होंने कहा कि बेटे का एक बाल तक नहीं टूटा था। पिता रामऔतार ने कहा कि हम तो यह सोचकर सेवा कर रहे थे कि धड़कन चल रही है। किसी दिन ऐसा चमत्कार होगा कि बेटा अपने आप ठीक होने लगेगा।
ग्लूकोज भी चढ़वाया था
पिता ने बताया कि 22 अप्रैल 2021 को विमलेश को घर लाने के डेढ़-दो माह बाद एक बार उसे ग्लूकोज भी चढ़वाया था। वह भी उसके शरीर में गया था। वह मृत होता तो शरीर में ग्लूकोज जाता ही नहीं।
हैलट तक जिंदा था बेटा
इसे मां का अटूट प्रेम ही कहेंगे कि रामदुलारी आखिर तक अपने बेटे को जिंदा मान रही थीं। उन्होंने कहा कि बेटे को शुक्रवार को जब हैलट अस्पताल ले जाया जा रहा था, तब भी उसकी सांसें चल रही थीं। वहां तो डॉक्टरों ने कोई जांच ही नहीं की। पता नहीं बेटे के साथ क्या हुआ। उसका अंतिम संस्कार इतनी जल्दी करा दिया।